इक बार के मिलने को वो प्यार समझते है , पागल हैं मगर खुद को होशियार समझते हैं , चाहत की इबादत को जो रोग समझता है , हम ऐसे मसीहा को बीमार समझते हैं , ये ऊँचे घरानों के बिगड़े हुए लडके हैं , जो प्यार के मंदिर को बाजार समझते हैं , इस मुल्क के माथे पर दाग हैं वो 'अंजुम ', जो लोग फसानों को त्यौहार समझते हैं । पागल हैं मगर ................................. ।
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