खोजी पत्रकारिता एक अखरोट की तरह है जिसको तोड़ने में तो काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है , लेकिन वह काफी स्वादिस्ट और ताकतवर होता है ये कहना है समरघोस समाचार पत्र के स्थानीय संपादक ऋषि पांडे का । वे चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की कार्यशाला के ८ वें दिन मुख्य अतिथि के तोर पर आये थे ।
उन्होंने कहा की खोजी पत्रकारिता में अपराध जगत के छुपे हुए रहस्यों को उजागर करना होता है । सच को बेनकाब करना होता है । उनके अनुसार अच्छे संवाददाता के पास समाचार अपने आप चलकर आते हैं । छोटे से छोटा सौर्स बड़ी से बड़ी सुचना दे सकता है ।
पांडे जी ने कहा की दुनिया में ऐसाकोई कागज नहीं है जिसकी फोटो स्टेट न की जा सकती हो । उन्होंने कहा की या तो इतने बड़े बन जाओ कि इंडस्ट्री को अपने अनुसार ढाल सको या फिर इसके अनुसार खुद ढल जाओ । उन्होंने मीडिया के विद्यार्थिओं को बताया कि उमा खुराना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ये फेसला सुनाया कि स्टिंग ओपरेशन केवल संपादक की देखरेख में ही हो सकता है ।
इसका संचालन विभागाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह चौहान ने किया । इस मौके पर प्राध्यापक विकास सहारन , कृष्ण कुमार , सन्नी गुप्ता , राम मेहर और विद्यार्थी उपस्थित थे ।
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