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Wednesday, March 9, 2011

माँ

शख्त रास्तों में भी आसान सफर लगता है
ये मुझे माँ की दुआओं का असर लगता है
इक मुद्दत से मेरी माँ नहीं सोई जब मेने इक बार कहा था
माँ मुझे डर लगता है
जब टूटने लगे होसले तो ये यादरखना
बिन मेहनत के हासिल वो ताज नहीं होते
अँधेरे में भी ढूंड लेते हैं मंजिल अपनी
जुगनूँ कभी रौशनी के मोहताज नहीं होते

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