शहीद होंगे किताबों पर मिट्टी में दफन होगा ,
चिता बनेगी कलमों से कागजों का कफन होगा ।
ये पंक्तियां हमें उन देशभक्ततों की याद दिलाती हैं जो हंसते -हंसते
फांसी के फंदे पर झुल गये थे ।उन देशभक्तों में राजगुरू ,भगतसिंह और सुखदेव आदि थे । भगत सिंह ने अंग्रेज अधिकारियों को कहा था कि वे उन्हें फांसी की बजाए गोली मारें और देखें कि भारतीय किस प्रकार से
अपने आदर्श के लिए मौत का भी खुशी से आलिंगन कर सकते हैं ।
भगत सिंह एक ऐसे का्रंतिकारी थे जो फांसी के समय हंसते हुए कह रहे
थे कि ,मुझे मरने का डर नहीं और इसका मतलब ये भी नहीं कि उन्हें अपनी जिंदगी से नफरत हैं ,उन्हें भी अपनी जिंदगी से प्यार हैं ।
कुछ वो लोग थे जो वक्त के सांचे में ढल गये ,
कुछ लोग वो भी थे जो वक्त के सांचे बदल गये ।
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