कुछ मार्ग सफलता की ओर जाते हैं और कुछ विफलता की ओर ।
यदि आप अपना मार्ग विवेक से निर्धारित करे तो आप निश्चय ही सफल हो सकते हैं ।
सुप्रसिद्ध विचारक एवं चरित्र -निर्माण विषय के अधिकारी लेखक स्वेट मार्डेन ने इस तथ्य को उजागर किया
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Wednesday, October 20, 2010
Monday, October 18, 2010
अभय चौटाला लेंगे बैठक
सिरसा/ऐलनाबाद १० अक्तूबर (सुशील/जगदीप/अंकिता) इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी की और से ऐलनाबाद के विधायक एवं खेल रत्न अभय सिंह चोटाला अपने निवास स्थान पर १९ अक्तूबर सुबह१० बजे सिरसा हल्के के सभी पदाधिकारी व् कार्यकर्ताओं की मीटिंग लेंगे । इनेलो पार्टी के जिलाध्यक्ष पदम जेन ने बताया की इस मीटिंग का मुख्य उदेश्य पार्टी की और से १ नवम्बर से हो रही गुडगाँव रेली को सफल बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को लेकर आने के ल्लिये कहेंगे । जेन ने लोगों को कहाकी आज का यह त्यौहार धर्म की अधर्म पर जीत का प्रतीक है । उन्होंने आगे कहा की हरियाणा के खिलाडियों ने कोमनवेल्थ खेलों में जो अच्छा प्रदर्शन किया है वे बधाई के पात्र है ।
Monday, October 11, 2010
गरीबों का काल है कोम्न्वेल्थ खेल
खेलों का आयोजन करवाना कोई बुरी बात भी नहीं है क्योंकि खेल रास्ट्रीयभावना और प्रेम प्यार कि भावना को मजबूत करते है लेकिन यदि गरीबों कि दुर्दशा या महंगाई को देखा जाये तो यह उनके लिए एक अभिशाप बन जायेगा । कोमनवेल्थ खेलों का आयोजन करने वालों के घरों में चाहे बेअंदाज पैसा आ जाये लेकिन उन गरीब लोगों कि कोन सुनेगा जिन्हें कोमनवेल्थ खेल के चलते दिल्ली में आने तक कि अनुमति नहीं है इस हाल को देखकर तो मुझे एक शायर कि लाइन याद आ रही है ......
"लोग चढ़ा रहे है मजारों पर चादरें ,
लेकिन किसे खबर कि कोई बेकफन भी हैं" ।
भारत मुनियों और धर्म कि भूमि माना जाता है जहाँ यह सत्य कहते है कि हमें अपनी हेसियत और ओकात में रहकर खर्च करना चाहिए या कि चादर देखकर पैर पसारना चाहिए । तो भारत में कोमनवेल्थ खेलों को आयोजित करने में जितना पैसा बहाया जा रहा है क्या उससे आम आदमी को एक रूपए का भी फायदा हुआ है ?क्या कोई यह प्रावधान है कि कोई एक भी गरीब आदमी उस खेल को देखने कि विशेष छुट मिली है ?.........लेकिन उनके लिए एक तोहफा जरुर दिया गया है , महंगाई का वो फंदा जो कुछ दिन पहले बसों का किराया बढाकर उनके गले में डाला गया था ।
५० करोड़ का वो गुबारा जिसके पैसों को यदि रोडवेज विभाग को दिया होता तो शायद इस परेशानी से तो नहीं जूझना होता । और यदि इन पैसों को शिक्षा विभाग या खेल नर्सरियों को तेयार करने में लगाया जाता तो आने वाले समय में जब भी विश्व में खेल होते तो भारत का स्वर्ण , रजत और कांस्य पदक विजेताओं में पहला स्थान होता ।
"लोग चढ़ा रहे है मजारों पर चादरें ,
लेकिन किसे खबर कि कोई बेकफन भी हैं" ।
भारत मुनियों और धर्म कि भूमि माना जाता है जहाँ यह सत्य कहते है कि हमें अपनी हेसियत और ओकात में रहकर खर्च करना चाहिए या कि चादर देखकर पैर पसारना चाहिए । तो भारत में कोमनवेल्थ खेलों को आयोजित करने में जितना पैसा बहाया जा रहा है क्या उससे आम आदमी को एक रूपए का भी फायदा हुआ है ?क्या कोई यह प्रावधान है कि कोई एक भी गरीब आदमी उस खेल को देखने कि विशेष छुट मिली है ?.........लेकिन उनके लिए एक तोहफा जरुर दिया गया है , महंगाई का वो फंदा जो कुछ दिन पहले बसों का किराया बढाकर उनके गले में डाला गया था ।
५० करोड़ का वो गुबारा जिसके पैसों को यदि रोडवेज विभाग को दिया होता तो शायद इस परेशानी से तो नहीं जूझना होता । और यदि इन पैसों को शिक्षा विभाग या खेल नर्सरियों को तेयार करने में लगाया जाता तो आने वाले समय में जब भी विश्व में खेल होते तो भारत का स्वर्ण , रजत और कांस्य पदक विजेताओं में पहला स्थान होता ।
Tuesday, October 5, 2010
अयोध्या मामले का फेसला
अयोध्या मामले के फेसले को देखकर मुझे तो यूँ लगता है कि .......
न हिन्दू बुरा है न मुसलमान बुरा है ,
बुराई पर उतर आये तो हर इन्सान बुरा है ।
साठ साल पुराना अयोध्या का राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद के मामले का फेसला ३० सितम्बर २०१० को ३.३० बजे सुनाया गया । तीन कुर्सी कि अद्यक्ष्ता में येफेसला सुनाया गया कि इस भूमि के तीन भाग किये गये है , जिनमे एक हिस्से पर राम मंदिर और एक हिस्से पर बाबरी मस्जिद तथा तीसरे हिस्सा साधुओं के लिए रखा गया है । वेसे देखा जाये तो अयोध्या कि सारी भूमि राम मंदिर के लिए दी जानी थी लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते है , उसी प्रकार न्यायालय के फेसले को भी मानना जरूरी है । यह बात तो हर शख्स जानताहै ,चाहे वो हिन्दू हो , मुसलमान हो , सिख हो या फिर यूँ इसाई हो कि अयोध्या में भगवान श्री राम का जन्म हुआ था और वो हमारे पूर्वज है जहाँ पर श्रीराम का मंदिर बनाया गया था । लेकिन बाबर ने भारत में आकर राज किया और राममंदिर को तोडकर उस जगह बाबरी मस्जिद का निर्माण करवा दिया तो हिन्दुओं के मन को ठेस पहुंची जिसपर उन्होंने बाबरी मस्जिद को गिरा दिया । अब फेसला आने के बाद भी काफी बवाल मचा हुआ है तो आगे क्या होता है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा । मुझे तो यूँ लग रहा है कि .....
"गर्दिशों में घिर गया है देश मेरा इस तरह ,
वीर अभिमन्यु को घेरा था कोरवों ने जिस तरह ।
न हिन्दू बुरा है न मुसलमान बुरा है ,
बुराई पर उतर आये तो हर इन्सान बुरा है ।
साठ साल पुराना अयोध्या का राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद के मामले का फेसला ३० सितम्बर २०१० को ३.३० बजे सुनाया गया । तीन कुर्सी कि अद्यक्ष्ता में येफेसला सुनाया गया कि इस भूमि के तीन भाग किये गये है , जिनमे एक हिस्से पर राम मंदिर और एक हिस्से पर बाबरी मस्जिद तथा तीसरे हिस्सा साधुओं के लिए रखा गया है । वेसे देखा जाये तो अयोध्या कि सारी भूमि राम मंदिर के लिए दी जानी थी लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते है , उसी प्रकार न्यायालय के फेसले को भी मानना जरूरी है । यह बात तो हर शख्स जानताहै ,चाहे वो हिन्दू हो , मुसलमान हो , सिख हो या फिर यूँ इसाई हो कि अयोध्या में भगवान श्री राम का जन्म हुआ था और वो हमारे पूर्वज है जहाँ पर श्रीराम का मंदिर बनाया गया था । लेकिन बाबर ने भारत में आकर राज किया और राममंदिर को तोडकर उस जगह बाबरी मस्जिद का निर्माण करवा दिया तो हिन्दुओं के मन को ठेस पहुंची जिसपर उन्होंने बाबरी मस्जिद को गिरा दिया । अब फेसला आने के बाद भी काफी बवाल मचा हुआ है तो आगे क्या होता है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा । मुझे तो यूँ लग रहा है कि .....
"गर्दिशों में घिर गया है देश मेरा इस तरह ,
वीर अभिमन्यु को घेरा था कोरवों ने जिस तरह ।
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