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Monday, October 3, 2011

ऑनर किलिंग ........

ऑनर किलिंग के मुदे पर कुछ लिखना तो नहीं चाहता , लेकिन युवाओं की जानें जो झूठी शान -शौकत के नाम पर छीनी जा रही है ,उनसे कई बार दिल को गहरी ठेस पहुंच रही है । युवा होने के नाते इस मुदे पर इतना कुछ जरुर लिखना चाहूँगा कि अपने आप को समाज के ठेकेदार मानने वाले उन लोगों को एक बार जरुर इस बात पर विचार कर लेना चाहिए कि जो युवा मोहब्बत करते हैं , इश्क करते है , प्रेम करते हैं , लव करते हैं , इक - दूजे के साथ जीने मरने कि कसमें खाते हैं ,उनकी जान तक ले लेना , बेरहमी से हत्या कर देना क्या जुल्म नहीं है , क्या अत्याचार नहीं हैं , क्या पाप नहीं हैं ? उन लोगों को यह मालूम होना चाहिए कि उनके बच्चे अगर उनकी नजरों में गलत काम कर रहें हैं ,बुरा कदम उठा रहे हैं ,तो उनके द्वारा उठाया गया कदम क्या उन्हें मंदिर ,मस्जिद ,गुरुद्वारे या चर्च कि ओर ले जाता है ?
मैं बार -बार उनको समाज के ठेकेदार तो नहीं कहना चाहता , इसलिए कहना चाहूँगा कि जुल्म के ठेकेदारों को अपनी जिन्दगी के भूतकाल में नजरें डालनी चाहिए कि क्या जिन्दगी में उन्होंने कोई बुरा काम नहीं किया ?,क्या कोई घिनोने कृत्य उन्होंने नहीं किये ? क्या कोई जुल्म नहीं किया ? क्या हुआ अगर उनका पर्दाफाश नहीं हुआ तो क्या वे दंड के भागीदार नहीं हैं ? अगर उनके बच्चे किसी से मोहब्बत करने लगते हैं ,अपनी पूरी जिन्दगी किसी के साथ बिताना चाहते हैं , तो उनका क्या यह फर्ज नहीं बनता कि उनकी ख़ुशी को ही अपनी ख़ुशी समझा जाये ओर अगर प्रेम - मोहब्बत करना जुल्म है ,गुनाह है तो उन्हें अपने बच्चों को उस ग्रन्थ का ,उस पुस्तक का परिचय बचपन से ही करा देना चाहिए जिसके किसी भी पेज कि किसी भी पंक्ति मैं यह जरुर लिखा हो कि '' सची मोहब्बत करना जुल्म है , साचा करना गुनाह है औ र इनके बदले मैं अपनों द्वारा किया गया उनका खून एक पुन्य का काम है , धर्म का काम हैं । ''
युवा पत्रकार होने के नाते यही कहना चाहूँगा कि युवाओं को इस दुनिया कि आबो - हवा मैं मोहब्बत कि , प्रेम कि इतनी खुशबु फेला देनी चाहिए कि उन लोगों कि सांसें भी केवल मोहब्बत कि , प्रेम की खुशबु की एक - एक बूंद के सहारे ही चलें ........
'' जुल्म लाख करें ज़माने वाले ,
पर आबो - हवा की खुशबु न जाएगी ।
लेखक - सुशील गोयल मो०९७२९१-१२५४६